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भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन में रुकावट, क्योंकि चीन से रेयर अर्थ मैगनेट की आपूर्ति नहीं हो रही।

 चीन से रेयर एअर्थ मैग्नेट्स के एक्सपोर्ट पर रोक

चीन से export होने वाला रेयर अर्थ मैगनेट (दुर्लभ धातुओं से बने मैगनेट) पर पाबंदी से भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) के उत्पादन पर काफी असर पड़ा है। भारत अपने लगभग 80% से ज्यादा मैगनेट चीन से आयात करता है। इस पाबंदी के कारण EV लॉन्च और सेक्टर की बढ़ती ग्रोथ धीमी पड़ने लगी है, जिस की वजह से भारत अब दूसरे विकल्प की तलाश या फिर घरेलू मैनुफैक्चरिंग बढ़ाने और चीन से इस मुद्दे पर बातचीत करने की कोशिश कर रहा है ताकि आपूर्ति को पूरा किया जा सके।

क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट:

क्रिसिल रेटिंग्स ने बताया है कि चीन की इस पाबंदी से भारत की कार इंडस्ट्री को मुश्किल वक्त से गुजरना पड़ सकता है। अगर एक महीने तक रुकावट बनी रही, तो EV लॉन्च और प्रोडक्शन पर असर पड़ेगा और पूरे सेक्टर की ग्रोथ बिल्कुल सुस्त होगी।

रेयर अर्थ मैगनेट किस वजह से ज़रूरी हैं?

रेयर अर्थ मैगनेट किफायती दामों में होता है, लेकिन ये इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों में इस्तेमाल होने वाले परमानेंट मैगनेट सिंक्रोनस मोटर (PMSM) के लिए अहम हैं क्योंकि ये ज़्यादा टॉर्क और एनर्जी एफिशिएंसी देते हैं।
इंटरनल कंबशन इंजन (ICE) वाहनों में ये मैगनेट इलेक्ट्रिक पावर स्टीयरिंग और कुछ मोटराइज्ड पार्ट्स में इसका use होता हैं।

चीन से एक्सपोर्ट पर रोक की वजह क्या है?

चीन ने इस साल के अप्रैल महीने में सात रेयर अर्थ एलिमेंट्स और बने हुए मैगनेट के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई है। अब एक्सपोर्ट के लिए उसको किस उपयोग के लिए एक्सपोर्ट करना है, उसकी जानकारी देनी पड़ेगी, और अगर वो अमेरिका या फिर डिफेंस के लिए कोई एक्सपोर्ट नहीं कर सकते।
इस नए नियम के कारण क्लीयरेंस में 45 दिन का वक्त लग रहा है, और शिपमेंट पहले की तरह time पर नहीं हो रही। इस वजह से पूरी दुनिया के एक्सपोर्ट प्रभावित हुए।

भारत पर असर:

पिछले साल में भारत ने 540 टन मैगनेट में से 80% से ज्यादा चीन से आयात किए थे। अब इसकी कमी पड़ रही है।

क्रिसिल के रिपोर्ट मुताबिक, मई के अंत तक भारत सरकार ने करीब 30 ऑर्डर आयात किए थे, लेकिन चीन से एक भी शिपमेंट भारत को नहीं मिला।
क्रिसिल रेटिंग्स के डायरेक्टर अनुज सेठी ने बताया, “जब ऑटो सेक्टर बहुत से नए EV मॉडल्स मार्केट में लाने वाली है तभी सप्लाई की यह परेशानी सिर पर खड़ी है।”

अभी ऑटो कंपनियों के पास लगभग 4-6 हफ्ते चलने वाला सामान है, लेकिन अगर देरी लंबी चली तो जुलाई 2025 से प्रोडक्शन प्रभावित होगा। EV मॉडल्स की लॉन्चिंग इसके कारण रुक सकती है। अगर सप्लाई ज्यादा लंबी चली, तो टू-व्हीलर्स और ICE गाड़ियों पर इसका बड़ा इफेक्ट देखने को मिलेगा।”

आने वाले टाइम में ग्रोथ पर क्या असर पड़ेगा?

FY26 (2025-26) में पैसेंजर व्हीकल्स की ग्रोथ 2–4% रहने का अनुमान है। लेकिन EVs की ग्रोथ 35–40% रहेगी इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स 27% बढ़ सकते हैं पूरे टू-व्हीलर सेक्टर की ग्रोथ 8–10% तक रुक सकती है


डिप्लोमैटिक क्या कदम उठाए
रंधीर जायसवाल, जो विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हैं, उन्होंने ने प्रेस मीटिंग में कहा,
“हम दिल्ली और बीजिंग, दोनों जगह चीन से बात कर रहे हैं ताकि सप्लाई चेन में फिर से पहले की तरह बहाली और अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन दोनों हो।”
दुनिया भर में असर पड़ेगा क्योंकि
चीन दुनिया की 90% रेयर अर्थ मैगनेट प्रोसेसिंग करता है।



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