मुफ्त में मिली दौलत को अय्याशी में उड़ा दिया।

 विरासत का माल
 खजाने की तलाश 
 सपने की सच्चाई 
 मिस्र में चोर और डाकू 


विरासत का माल


एक आदमी था जिसका एक अमीर रिश्तेदार था। उसकी मौत हो गई। उसके बाद उसकी जितनी दौलत थी, वह सारी दौलत उस आदमी के हिस्से में आ गई क्योंकि यह सारी दौलत उसको अचानक मिली थी और इससे पहले उस आदमी ने इतनी दौलत देखी भी नहीं थी और उसके ख्वाब-ख्याल में भी नहीं था कि उसको इतनी दौलत मिलेगी और यह दौलत उसकी विरासत में मिली थी। बिलकुल आसानी से मिलने की वजह से उसको इस दौलत की कदर नहीं थी। उस आदमी ने कुछ ही टाइम में खूब बढ़िया से करके फिजूल कामों में सारे पैसे खर्च कर दिए और बिल्कुल कंगाल हो गया और खाली हाथ होकर बैठ गया।

खुद को कंगाल देखकर अल्लाह से उसने दुआ की, 'हे परवरदिगार, तूने मुझे जो मालो दौलत दी थी, वह सब खत्म हो गई। अब तुम मुझे जिंदगी गुजारने के लिए सामान अता फरमा या फिर मुझे मौत दे दे।' ऐसी दुआ की और मुझे इस झंझट से आजादी पता कर दे।

वहां आदमी दुआ के साथ अल्लाह के सामने खूब रोया भी। बात असल यह थी कि उसको जो पहले बगैर मेहनत की मां दौलत मिली थी, अभी भी उसको वही ख्वाहिश थी कि उसको बगैर मेहनत के पैसे मिलें क्योंकि अल्लाह ताला से मांगने वाला कभी भी खाली हाथ नहीं लौटता। 

खजाने की तलाश 



एक रात वह सोया था और उसका एक सपना है जिसमें एक फरिश्ता कह रहा था कीि 'खुशनसीब आदमी, तू यहां पर क्या कर रहा है? अल्लाह ताला ने तेरी फरियाद को सुन लिया और मिस्र में एक जगह बहुत सारा खजाना है। एक बस्ती में एक मकान के नीचे गढ़ा हुआ है। तुम उसको लेने चले जाओ।'


यह सपना देखकर उस आदमी की जान में जान आ गई। काफी हिम्मत और मुश्किलें बर्दाश्त करके वह मिस्र पहुंचा। मैं सिर्फ पहुंचते ही जो कुछ बचा-खुचा था, वह भी खत्म हो गया और कंगाल हो गया। जेब में ₹1 भी नहीं बचा। जब भूख हद से बढ़ने लगी, तो भीख मांगने का सोचने लगा। शर्म तो उसे बहुत आई क्योंकि कभी भीख मांगी नहीं थी, लेकिन भूख इतनी बढ़ चुकी थी कि भीख मांगना मजबूरी बन चुका था। यह सब सोचते हुए गलियों-मोहल्लों में हिचकिचाते हुए फिरने लगा, लेकिन किसी के सामने मांगने की हिम्मत नहीं कर सका।

मिस्र में चोर और डाकू 


उस ज़माने में उस इलाके के लोग चोरों से बहुत परेशान थे। रात के वक्त चोरों की सरगर्मियां बढ़ जाती थीं, इसलिए रात के वक्त कोतवाल सिपाहियों के साथ पेट्रोलिंग करते थे। अब वहां के राजा का यह फरमान था कि जिस आदमी पर शंका हो, उसके हाथ काट डालो, चाहे वह कोई करीबी ही क्यों न हो। कई लोगों ने कोतवाल की शिकायत की। उस पर खलीफा ने कोतवाल को हुक्म दिया कि यह सब डाकुओं को पकड़ा जाए, वरना उन उनके किए की सजा उस कोतवाल को दी जाएगी। कोतवाल ने सिपाहियों की संख्या गली-मोहल्लों में बढ़ा दी। जब चोरों को पता चला, तो सिपाहियों की संख्या देखकर निकलने की हिम्मत नहीं हुई।

जो बगदाद से खजाने का सपना देख कर आया था, इलाके के हालात से बेखबर था, इसलिए वह रात को भूख की सख्ती से बेबस था। अब कोतवाल की नजर में आ गया और गिरफ्तार कर लिया और अच्छी तरह धुलाई हो गई। फिर पूछा, 'तू कौन है? कहां से आया है? इस शहर में क्या कर रहा है?' उसने कहा, 'मुझे मारो नहीं, मैं पूरी कहानी बताता हूं।' कोतवाल ने अच्छे से डांट लगाई और कहा कीि 'तू इस शहर का नहीं है। तू किसी इलाके का बदमाश लगता है. जल्दी से सच बता, वरना तेरे हाथ काट दूंगा।' उसने कसम खा कर कहा, 'मैं डाकू या चोर नहीं हुूं। मैं तो एक मुसाफिर हूं। बगदाद में मेरा घर है.' यह कहने के साथ सपने और खजाने की हकीकत बता दी।

सपने की सच्चाई 


कोतवाल हैरान होकर बोला, 'अरे बेवकूफ, अगर मैं मान लूं कि तू चोर नहीं, लेकिन एक सपने की वजह से लालच के कारण तू जान की बाजी लगा के बगदाद आ गया। अब मेरी बात गौर से सुन, तुझे बगदाद में रह रहकर मिस्र का खजाना दिख गया। मैंने मिस्र में रह रहकर बगदाद के एक मकान में खजाना देखा, और मैंने देखा कि उस मकान के उस जगह खजाना डटा हुआ है, लेकिन आज तक कभी भी मिस्र से निकलने की हिम्मत नहीं की। मेरे दिल ने मुझे यही कहा कि मुझे किस चीज की कमी है? मेरा खजाना तो मेरे घर में है, और मैं अपने खजाने पर आराम से बैठा हूं।'

उस आदमी ने जब यह बात सुनी तो हद से ज्यादा खुश हुआ। सारा दुख जाता रहा और सोचने लगा कि इतनी मार खाने के बाद मुझे उसका फल मिलना ही था। असल खजाना तो मेरे घर में ही है क्योंकि कोतवाल ने जिस जगह मोहल्ले का नाम लिया था, वह उसी का घर था। वह कोतवाल का दिल से शुक्रिया अदा करने लगा। उसकी वजह से अजीबो गरीब तरह से दौलत हाथ लगी। उसके बाद वह अपने मालिक की हमदो सना करने लगा और मिस से वापस बगदाद रवाना हो गया।


लालच बुरी बला है।

Previous
Next Post »