हसद की बदौलत अयाज़ के बारें मैं एतेराज़

सुल्तान महमूद को एक अयाज़ नाम के गुलाम को सबसे ज्यादा सम्मान देना।
अयाज़ के सम्मान देने पर दूसरे अधिकारी का एतराज 
अयाज़ और दूसरे अधिकारियों की परीक्षा 
अधिकारियों का माफी मांगना 

सुल्तान महमूद को एक अयाज़ नाम के गुलाम को सबसे ज्यादा सम्मान देना।

बहुत सी बार किसी आदमी की ईमानदारी और अकल अकलमंदी और अपने मालिक की वफादारी ही उसकी दुश्मन बन जाती है। अयाज़ नाम के एक आदमी की इन्हीं अच्छाइयों ने उसके बहुत सारे दुश्मन और जलने वाले लोगों को जन्म दिया। उन लोगों के दिलों के अंदर उसकी कूट-कूट कर दुश्मनी भरी हुई थी। और सुल्तान महमूद जो बादशाह था, वह अयाज़ पर ही भरोसा करता है और उसी की बात को मानता।

अयाज़ के सम्मान देने पर दूसरे अधिकारी का एतराज

एक दिन एक आदमी ने सुल्तान महमूद से सवाल पूछा कि आप छोटे से गुलाम अयाज को 30 अकलमंदों के बराबर क्यों समझते हैं? हम लोगों को यह बात समझ नहीं आती कि एक अकेले अयाज के अंदर 30 लोगों के बराबर अक्ल और समझदारी कैसे हो सकती है।

अयाज़ और दूसरे अधिकारियों की परीक्षा 

अब सुल्तान महमूद ने उस वक्त उस सवाल पूछने वाले को कोई जवाब नहीं दिया। कुछ दिन बाद सुल्तान महमूद ने शिकार करने का इरादा किया और 30 अमीरों को लेकर जंगल की तरफ निकल पड़ा। रास्ते में एक बड़ा काफिला मिला तो सुल्तान ने एक अमीर को कहां कि उस काफिले वाले को पूछ कर आओ कि आप लोग कहां से आए हो। वह अमीर सुल्तान के पास आया और बताया कि काफिला शहर से आया है। सुल्तान ने अमीर से सवाल किया कि काफिला कहां से आया है, लेकिन अमीर इसका जवाब न दे सका क्योंकि अमीर ने काफिले वालों से पूछा ही नहीं था। 

फिर सुल्तान ने एक दूसरे अमीर को यह पूछने के लिए भेजा कि काफिला कहां जाने वाला है और उसका आखिरी पड़ाव कहां है। कुछ देर बाद वह पूछ कर आया कि काफिले का यमन जाने का इरादा है। सुल्तान ने उसी अमीर को पूछा कि काफिले के पास सफर के सामान में क्या-क्या है, लेकिन वह जवाब ना दे सका।

सुल्तान ने फिर तीसरे आदमी को भेजा कि पूछ क्या हो कि उनके पास कितना सामान है। वह तुरंत पूछ कर आया कि उनके पास जरूरत का हर एक सामान है। सुल्तान ने दोबारा पूछा इस आदमी को जो तीसरी बार काफिले वालों से पूछने गया था कि काफिला शहर से कब रवाना हुआ था, लेकिन उसका भी वह आदमी जवाब ना दे सका। उसने शर्मिंदगी से अपने सर को झुका लिया क्योंकि यह बात उसने पूछी ही नहीं थी।

एक-एक करके 30 लोगों को भेजो जो सुल्तान के साथ थे; सब एक-एक सवाल का जवाब है पूछ कर आते थे। किसी ने काफिले से पूरी तरह मालूमात की तकलीफ नहीं ली; सब के सब आधी अक्ल के साबित हुए। सुल्तान ने उन 30 आदमियों से कहा कि तुम लोगों का एतराज था कीि मैं अयाज़ को क्यों तुम 30 के बराबर समझता हूं। मैं उस वक्त तो चुप रहा था लेकिन मैं अब उसका जवाब दूंगा। मैंने तुम सबसे चुप कर अयाज़ को उस काफिले वाले के पास भेजा था और 30 सवालों का जो तुम बारी-बारी 30 चक्करों में उनका जवाब लेकर आए हो, वह अयाज़ एक ही चक्कर में पूछ कर आ गया। अब तुमको पता चला कि अयाज़ को मैं इतना सम्मान क्यों देता हूं।

अधिकारियों का माफी मांगना 


यह सुनकर सब शर्मिंदा हो गए और अपने किए पर माफी मांगने लगे और कहने लगे कि हम बिल्कुल अयाज की बराबरी नहीं कर सकते; उसकी होशियारी और अक्लमंदी का मुकाबला नहीं किया जा सकता।

सो सुनार की एक लुहार की 

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